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वाराणसी [जासं]। संकट मोचन संगीत समारोह के शास्त्रीय मंच पर उस्ताद गुलाम अली द्वारा गाई गई बेहद मशहूर गजल ‘हंगामा है क्यूं बरपा, थोड़ी सी जो पी ली है..’ गुरुवार को अचानक चर्चा में आ गई। हालांकि सुगबुगाहट तो गायन के दौरान बुधवार रात ही रही लेकिन बात दूसरे दिन चल निकली। शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र ने संकट मोचन दरबार में गजल गायकी को एक परंपरा का टूटना करार दिया, जबकि हनुमत भक्तों ने एक स्वर में इसे भक्ति आराधना का एक सहज और निर्मल भाव बताकर प्रभु को नमन किया।
महंत प्रोफेसर विश्वंभरनाथ मिश्र ने इस गजल गायकी के भावों को मानस की चौपाइयों से स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि ‘जाकी रही भावना जैसी, प्रभू मूरत देखी तिहं तैसी’। महंत जी ने हवाला दिया कि-मीरा ने पीया था, मैं खुद रोज पीता हूं, लेकिन इसका भाव समझना जरूरी है।
मीरा ने विष पीया था और मैं प्रभु का चरणोदक पीता हूं, जिसकी एक बूंद पाने के लिए भक्तों में मचने वाली होड़ का आशय, हंगामा बरपना ही है। इसी तरह प्याला को लेकर किसी को आपत्ति हो सकती है लेकिन हमें यह सोचना चाहिए कि, भगवान शंकर के साथ ही भगवान श्रीकृष्ण की भक्त मीरा के हाथ में प्याला आते ही शब्द का भाव स्वत: बदल जाता है।
संगीत महाकुंभ में भिगोती रहीं स्वर लहरियां
इससे पहले बुधवार रात से गुरुवार भोर तक कलाकारों ने सुर लय ताल का कमाल दिखाया। अलसुबह लगभग तीन बजे उस्ताद अमजद अली खां के पुत्र अमान व अयान अली खां ने सरोद की झंकार बिखेरी। लोकधुन बजाया और राग मालकौंस में धमार व तीन ताल में गतकारी से जादू बिखेरा। पुत्रों के कमाल से विभोर उस्ताद अमजद अली खां ने राग चारुकेशी में सरोद के तार छेड़े। मंुबई के पंडित अजय पोहनकर ने राग विलास खानी तोड़ी में बड़ा ख्याल गाया।
हनुमत दरबार में प्रभु राम नाम की वर्षा
संकट मोचन दरबार में गुरुवार को हनुमत प्रभु के आराध्य देव श्रीराम नाम की वर्षा हुई। काशी के कलाकारों ने पहली बार नाट्य का मंचन किया। इसमें भावों से राम की शक्ति आराधना सजाई। सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की इस रचना को धीरेंद्र मोहन की परिकल्पना के अनुसार कलाकारों ने सधे अंदाज में सजाया। इसके अलावा मंच पर राम रावण युद्ध प्रसंग, जिसमें विजय के लिए प्रभु शक्ति संधान करते हैं, पर दिखा।
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Web Title:rampage on Gulam ali’s gazal-thori si jo pee lee hai
(Hindi news from Dainik Jagran, newsnational Desk)
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