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उम्मीद के मुताबिक नहीं बढ़ीं नई नौकरियां और निवेश

नई दिल्ली। केंद्र की नई सरकार के एक साल पूरे हो गए, लेकिन आर्थिक मोर्चे पर कुछ बुनियादी समस्याएं अब भी बरकरार हैं। मसलन नौकरियों के नए मौके पैदा करना और निवेश चक्र में तेजी लाना अब भी बड़ी चुनौती बनी हुई है।



हालांकि इस बात की उम्मीद बनी हुई है कि पिछले 12 महीनों के दौरान सरकार की तरफ से उठाए गए कदमों के नतीजे आने शुरू होंगे। लेकिन, नए नौकरियों के मौके और निवेश बढ़ाने जैसे मामलों में धीमी प्रगति उन लोगों को निराश कर सकती है, जो चमत्कार की उम्मीद कर रहे थे।



रंग लाएंगी सरकारी पहल!



सरकार की तरफ से पिछले एक साल में कुछ खास पहल की गई है, जिनकी बदौलत नौकरियों के नए अवसर पैदा हो सकती हैं। मसलनः



—उद्यमियों के लिए बिजनस आसान बनाना



— मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में तेजी लाने की कोशि



— डिजिटल इंडिया और स्मार्ट शहर जैसी योजनाएं



— इंश्योरेंस, डिफेंस प्रॉडक्शन में एफडीआई की अनुमति



मंशा को एक्शन की दरकरार



श्रम सुधारों को लेकर सरकार का दृढ़ संकल्प उसकी मंशा का संकेत है। लेकिन, इन प्रयासों को केवल नारों और प्रचार से आगे ले जाने की जरूरत है। सरकार ने प्रोजेक्ट्स मंजूरी की प्रक्रिया को आसान बनाया है। रुके हुए प्रोजेक्ट्स को रफ्तार देने की कोशिशें जारी हैं, लेकिन यह सब उस गति से नहीं हो पा रहा है, जिसकी जरूरत है।



राज्यों का सहयोग जरूरी



अगले कुछ महीने महत्वपूर्ण होंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि रुके हुए प्रॉजेक्ट्स में तेजी लाने की जरूरत है। मेक इन इंडिया अभियान की बदौलत हजारों नौकरियां पैदा हो सकती हैं, लेकिन सरकार को इस राह में आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार रहना होगा। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को नए मुकाम पर पहुंचाने के लिए राज्यों के सहयोग समेत बड़े प्रयास करने होंगे।



पीपीपी से बहुत उम्मीद



देश के बैंक कई कंपनियों के खराब लोन (फंसे हुए कर्ज या एनपीए) के बोझ से दबे हैं, जो निवेश की राह मुश्किल बनाता है। ऐसे में सरकार उम्मीद करती है कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां (पीएसयू) यह खालीपन पूरा करें। प्रोजेक्ट्स को पटरी पर लाने के लिए पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) से भी बहुत उम्मीदें हैं। बिजनेस में भरोसा बढ़ा है, जिससे निवेश चक्र में सुधार के संकेत मिलते हैं।



सरकार ने रखी नींव, नतीजे आने में लगेगा वक्त



स्टाफिंग फर्म टीमलीज की उपाध्यक्ष और सह-संस्थापक ऋ तुपर्णा चक्रवर्ती के मुताबिक नई सरकार इस भरोसे के साथ चुनी गई थी कि रोजगार और शिक्षा के क्षेत्र में बड़े बदलाव आएंगे। ऐसा होने पर युवाओं के जीवन में काफी बेहतरी आ सकती है। पिछले 12 महीने मुकम्मल नतीजों के लिए तो नहीं, लेकिन कम-से-कम इन चीजों की नींव रखने के लिए पर्याप्त हैं।



चक्रवर्ती के मुताबिक सरकार की तरफ से जो नींव रखी गई है, उनके नतीजे अगले कुछ समय में आने लगेंगे। तत्काल प्रभाव की उम्मीद नहीं की जा सकती। लेकिन, श्रम सुधारों, स्मार्ट सिटीज और बिजनेस को आसान बनाने जैसे कदमों से आशावाद बढ़ेगा।



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साभारः नई दुनिया



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