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सृष्टि के प्रथम श्वसुर उत्पीड़ित जमाई थे भोलेनाथ! ⋆ Making India


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भोले नाथ सृष्टि के सबसे पहले ऐसे जमाई रहे जिनको भले ही दो श्वसुर मिले लेकिन दोनों के दोनों श्वसुर बेहद घमंडी थे….. या कहा जाए भोले नाथ सृष्टि के प्रथम श्वसुर उत्पीड़ित जमाई थे……


दक्ष ने तो भोलेनाथ का जो अपमान किया सो किया लेकिन कम हिमाचल भी नहीं पड़े. बहुत कम लोगों को पता होगा कि बॉलीवुड के गाने ‘ले जाएँगे ले जाएँगे दिलवाले दुलहनियाँ ले जाएँगे ….. दुल्हन तो जाएगी दूल्हे राजा के साथ’ वाले गाने सबसे पहले हिमाचल के सामने शिवजी के बराती यानि उनके गणों ने गाये थे……


यद्यपि जहां भी लव स्टोरी की बात चलती है वहाँ राधा कृष्ण जी या मीरा कृष्ण जी की ही छवि सामने आती है….. लेकिन सृष्टि की सबसे पहली लव स्टोरी तो माता पार्वती और भोले शंकर के बीच लिखी गयी.


बताओ यार, घरवाली पति से जिद करके अपने मायके जाए और फिर वहाँ अपने पति के लिए स्थान ना देखे तो उल्टे गुस्से से प्राण त्याग दे और पति भी पत्नी की जिद और अपनी अवहेलना को इगनोर कर पत्नी के वियोग में प्रलयंकारी क्रोध में दहक उठे.


और ये पति-पत्नी का अटूट प्रेम अगले जन्म में अद्वितीय लव स्टोरी बन कर आया. माता पार्वती और भोले शंकर की लव स्टोरी में ऐसा क्या नहीं है जो दशकों से बॉलीवुड की किसी भी हिट या फ्लॉप फिल्म का हिस्सा ना हो.


पूर्व जन्म का पति पाने के लिए माता पार्वती की तपस्या और इस जन्म में फक्कड़ रूप में पा उसी से ही शादी करने का प्रण. और ऐसी लव स्टोरी में माता पार्वती की माँ मैना का शिव को अपने जमाई के रूप में देख बेहोश होना तो श्वसुर हिमाचाल का गुस्सा होना. और गुस्सा होकर बराती मतलब शिव गणों को भोजन ही नहीं कराना.


शिव गण भूखे ही माता पार्वती को विदा करा लौट कर आए और कैलाश पर आकर ही भोजन किया. तब से शिव रात्रि यानि भोलेनाथ की शादी की वर्षगांठ के दूसरे दिन शिव गणों को भोजन कराने की परंपरा है. कढ़ी-चावल से खप्पर भरना उसी परंपरा का निर्वहन है.




तमाम भिक्षुक सींग का बाजा बजा कर हाथ में खप्पर लेकर आते हैं और गृहणियां उनके खप्पर में कढ़ी भात या जो भी भोजन हो भर कर भूखे शिव गणों को तृप्त करने का पुण्य प्राप्त करतीं हैं.


सो भाई आज मालकिन को तो भूखे शिव गणों के खप्पर भरने का पुण्य कमाने दें. और हम आज व्रत के दूसरे दिन के खाली पेट को स्वादिष्ट कढ़ी भात से भरें.



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