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10 days before they shot Vashisht, police told court no complaint, no FIR against him 12385997





10 दिन पहले ही कोर्ट ने निपटाई थी मनोज वशिष्ठ की अग्रिम जमानत याचिका

नई दिल्ली। मध्य दिल्ली के एक रेस्तरां में मनोज वशिष्ठ के कथित मुठभेड़ मामले में दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल के दावों की पोल खुलती नजर आ रही है। एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक, दस दिन पहले ही सेशन कोर्ट ने मनोज वशिष्ठ की ओर से लगाई गई अग्रिम जमानत अर्जी का निपटारा किया था। उस दौरान स्पेशल सेल ने कोर्ट के सामने कहा था कि आवेदक (मनोज वशिष्ठ) के खिलाफ न तो कोई एफआईआर दर्ज है और न ही कोई शिकायत।



अखबार के मुताबिक, गिरफ्तारी के डर से मनोज वशिष्ठ ने सेशन कोर्ट में 2 मई को अग्रिम जमानत के लिए अर्जी लगाई थी। अपने आवेदन में उसने कहा था कि याचिकाकर्ता ने कोई अपराध नहीं किया है। जबकि पुलिस स्टेशन स्पेशल सेल के अधिकारी उस पर झूठे और मनगढ़ंत आरोप लगाकर गिरफ्तार करना चाहते हैं। उसने बताया कि वो एक पूर्व अपराधी नहीं है और साफ छवि का इंसान है।



6 मई को सुनवाई के दौरान सेशन जज रितेश सिंह ने कहा कि स्पेशल सेल से मिली रिपोर्ट के मुताबिक याचिकाकर्ता के खिलाफ न तो कोई एफआईआर दर्ज है और न ही कोई शिकायत। रिपोर्ट को देखने के बाद उन्होंने कहा कि, ऐसी स्थिति में याचिकाकर्ता को अग्रिम जनानत का आदेश लेने की कोई आवश्यकता नहीं है। इसलिए ये फाइल यहीं बंद की जाती है।



मनोज वशिष्ठ और उनके बिजनेस पार्टनर पंकज अलाका के वकील संजय श्रीवास्तव ने अंग्रेजी अखबार को बताया था कि 2 मई को दोनों उनसे मिले थे और सेशन कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर करने को कहा था। वकील ने कहा “वशिष्ठ ने मुझे बताया कि 29 अप्रैल को वो अपने पार्टनर पंकज और एक महिला के साथ कार से जा रहा था। धौला कुआं के पास दो पुलिस वालों ने उनकी कार के पास अपनी बाइक रोकी। तभी एक पुलिस जिप्सी भी कार के दूसरी ओर रूकी। जिप्स में बैठे सभी लोग सादी वर्दी थी।”



वकील के मुताबिक , जिप्सी से पांच पुलिस वाले उतरे और मनोज और पंकज को जांच में पूछताछ के लिए लोदी कॉलोनी स्पेशल सेल पुलिस थाने चलने को कहा। वे लोग दोनों को स्पेशल सेल ले गए और पूछा, तुमदोनों को हिरासत में क्यों लिया जा रहा है। उस वक्त दोनों डर गए। फिर हंगामा शुरू हो गया। शोर सुनने के बाद कुछ राहगीर वहां पहुंचे और हस्तक्षेप करने लगे, जिसके बाद मनोज और पंकज वहां से निकलने में कामयाब हो गए।



उधर मनोज वशिष्ठ के भाई अनिल ने दावा किया है कि 29 अप्रैल को सेल के लोगों ने धौला कुआं से नोएडा परी चौक तक उसकी कार का पीछा किया। जब मनोज दिल्ली को पार कर नोएडा पहुंचा, तब उसने अपनी कार रोकी और बाहर निकला। उसकी कार के ठीक पीछे स्पेशल सेल के लोगों ने भी अपनी गाड़ी रोकी। गाड़ी से उतरने के बाद स्पेशल सेल के लोग उसके (मनोज) के पास गए और कहा कि स्पेशल सेल की एक केस में वो वॉन्टेड है।अनिल ने बताया कि तब उसके भाई ने स्पेशल के लोगों को 60 हजार रुपए दिये और उसे छोड़ देने को कहा। जब इस बारे में स्पेशल सेल के कमिश्नर एस एन श्रीवास्तव से पूछा गया तो उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।



बता दें कि मध्य दिल्ली के राजेंद्र नगर इलाके के सागर रत्ना रेस्टोरेंट में शनिवार रात दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल द्वारा कथित एनकाउंटर में मनोज वशिष्ठ मारा गया था। जिसके बाद सीसीटीवी फुटेज के सामने आने के बाद स्पेशल सेल के अधिकारियों पर सवाल उठने लगे। विजिलेंस जांच के आदेश के बाद सभी अधिकारियों का तबादला कर दिया गया है।



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Web Title:10 days before they shot Vashisht, police told court no complaint, no FIR against him


(Hindi news from Dainik Jagran, newsnational Desk)







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