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बाहरी विरोध दर्ज करने से पहले आतंरिक अवरोध तो दूर करो देवियों!


ma jivan shaifaly international womens day

नारी सशक्तिकरण बनाम महिला दिवस चाहे राष्ट्रीय हो या अंतर्राष्ट्रीय….


सबसे पहला सवाल उठता है दुर्गा, काली, सरस्वती, लक्ष्मी को पूजने वाले देश में नारी सशक्तिकरण जैसा शब्द कब प्रवेश कर गया?.


जहां अपने वास्तविक “मूल्यों” की कैद से बच्चा, युवा और यहाँ तक कि बूढ़ा भी एक काल्पनिक “आज़ाद” दुनिया में प्रवेश पा रहा था. एक ऐसी दुनिया जहां नारी की शक्ति उसके मूल्यों से नहीं कपड़ें उतारने की आज़ादी से जुडी थी, जहां नारी अपनी मातृत्व शक्ति को भूल कर “लेस्बियन” होने की आज़ादी चाह रही थी. जहां नारी सशक्तिकरण अपनी शक्ति को बढ़ाने से नहीं, पुरुष पर लांछन लगाने से होने वाला था…


तो सब महिलाएं जुट गईं… आज़ादी चाहिए … आज़ादी चाहिए… खाना पकाने से आज़ादी चाहिए… बच्चे पालने से ही नहीं, पैदा करने से आज़ादी चाहिए… मातृसत्ता चाहिए… ब्रा पहनने से आज़ादी चाहिए… साड़ी सूट पहनने से आज़ादी चाहिए…


ले लो आज़ादी… कौन मना करता है.. आज 80 प्रतिशत लड़कियां केवल जींस पहनती हैं, कुछ सिगरेट और शराब भी पीती हैं… खाना पकाती हैं आज़ाद रह कर सिर्फ खुद के लिए .. परिवार से आज़ाद हो गईं… नौकरी करने लगीं…. स्वावलंबी हो गईं… अब?


प्रकृति प्रदत्त गुणों से कैसे आज़ाद हो सकोगी… मातृत्व से आज़ादी चाहिए, रजस्वला होने से आज़ाद होना होगा… रजस्वला होने से आज़ाद हो गईं तो मर्दों की तरह दाढ़ी मूंछों की डिमांड करना होगी … दाढ़ी मूंछों पर उन्हीं का हक़ क्यूं?… मर्दों से बराबरी करना है तो लिंग परिवर्तन करवाना होगा….


क्यों हर बात में लड़ाई … घर में महिलाएं आपस में कितना प्रेम से रहती हैं, महिलाएं खुद जानती हैं? ‘उसकी साड़ी मेरी साड़ी से सफ़ेद क्यों’ से जब ऊपर उठोगी तो खुद पता चल जाएगा कि एक महिला के अन्दर इतने गुण और शक्ति है कि केवल एक तिनके के बल पर सीता रावण को दूर रख सकी थी, कि जब पांचाली के पाँचों तत्व कमज़ोर पड़ गए तो कृष्ण के प्रति उसका प्रेम तत्व ही था जो उसकी रक्षा कर सका….




हमें किसी शक्ति की ज़रूरत नहीं है देवियों, तुम्हारी बंद आँखों के पीछे तुम्हारी सारी शक्तियां सुप्त पड़ी हैं, अपनी आँखें खोलों और अपनी दैवीय शक्तियों को जागृत करो… तुम्हारा शिव आज भी तुम्हारा आधा अंग बन तुम्हारे जागने की प्रतीक्षा कर रहा है और आज भी महिषासुर जैसे लोग तुम्हारे कदमों के नीचे लहूलुहान हो सकते हैं.



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