युधिष्ठिर नहीं, 'भागवत' बनने का प्रयास कीजिये ⋆ Making India
जब अभिमन्यु की अनैतिक, असंवैधानिक व् कायरतापूर्ण हत्या के मुख्य अभियुक्त जयद्रथ के वध का संकल्प क्रोध से भरे हुए अर्जुन ने धारण कर लिया था..
तब भगवान कृष्ण ने अर्जुन को इस प्रकार के आत्मघाती संकल्पों के लिए डांटा था लेकिन स्वयं को उससे अलग नहीं कर दिया, उसका सारथ्य नहीं छोड़ दिया था, उसे पदमुक्त नहीं कर दिया था बल्कि स्वयं सूर्य के अडिग कालक्रम के साथ अपनी दिव्य लीला करते हुए दुष्ट जयद्रथ के वध में अर्जुन का पूरा सहयोग किया और उसका संकल्प पूर्ण करवाया था.
भागवत जी! केवल महाभारत, गीता, रामायण का सतही प्रचार करने से कुछ नहीं होगा.
हिम्मत है तो इसे धरातल पर साक्षात् प्रकट करके दिखाइए .
कीजिए #चंद्रावत जैसे अर्जुन के संकल्प की रक्षा, बेशक उन्हें डाँटिये ऐसे आत्मघाती संकल्पों के लिए लेकिन उन्हे अकेला मत छोड़िए बल्कि उनके शुभ संकल्प को पूर्ण करने में मदद कीजिए जेसे श्रीकृष्ण ने की थी.
निसंदेह ! आज के परिपेक्ष्य में ही कीजिए, किसी की भौतिक हत्या का समर्थन न करें लेकिन कम से कम राजनीतिक हत्या में तो सहयोग करें.
नित्य क्रुरता पूर्वक मारे जा रहे हैं स्वयं सेवकों की हत्या से संघ किस प्रकार मजबूत होगा?
युद्ध में वीरगति को प्राप्त अपने सैनिकों को देखकर अन्य सैनिक जब प्रतिशोध के लिए अपने सेनानायकों की तरफ देखते हैं और उन्हें संविधान से बद्ध एवं मौन पाते हैं तो उनका मनोबल भी टूट जाता है .
“युद्ध मनोबल से लड़े जाते है मात्र सिद्धान्तों से नहीं विप्रश्रेष्ठ!”
कोई भी सेनानायक किसी भी स्थिति में अपनी सेना का मनोबल नहीं गिरने देता फिर आप ऐसा कैसे कर सकते है ??
बाकी उपदेश देना तो बहुत आसान है मान्यवर ..
“ज्यादा सीधी और आदर्श राह पर चलोगे तो लाक्षागृह, द्युतसभा से होते हुए फिर वनवास में पहुँच जाओगे .”
युधिष्ठिर बनने का प्रयास ना करो, “भागवत” बनने का प्रयास करो .
आज आपका सन्देश एक एक संघी / राष्ट्रवादी तक पहुँच रहा है कि ये तो बोलने पर ही साथ नहीं देते तो करने पर क्या करेंगे?
“नाथूराम गोडसे” के मिथ्या अपराधबोध से संघ को मुक्त कीजिये, हिन्दू हित को चरम लक्ष्य बनाइये और फिर चुनावों और सत्ता की चिंता स्वयं हिन्दुओं पर छोड़ दीजिये, आप निराश नहीं होंगे.
#तस्मात्_उतिष्ठ_कौन्तेय
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