सारे रूप हैं तुम्हारे ⋆ Making India
मैंने देखा है, वह देहानल
अनियंत्रित अग्नि
जो शून्य कर देता है चतुर्दिक खड़े लोगों का वजूद
धवल दंत पंक्ति ने दबाया रक्तिम होंठों को
फिर आँखों का कटाक्ष
दग्ध कर देती है यह अग्नि शिकार को
क्षार हो जाते हैं उसके मन के नियंत्रण
पावक में भस्म हो जाने के लिए चल देता है पतंगा !
मैंने देखी है , वह करुणा
हिलोरें मारता ममता का समुद्र
तैरना नहीं जानता है वह शिशु
पर सुरक्षित है इस विशाल उफनती जलराशि में
तुम्हारे करुणा के आलिंगन में
वरद मुद्रा में उठे हुए कोमल हाथों में !
मैंने देखा है, वह प्रचंड-क्रोध-ताप ज्वाल
जिसमें तुम्हारा रूप हो जाता है कराल
आततायी का मस्तक अपने हाथों में धर
पी जाती हो उसका रुधिर
हो जाता वह संज्ञा शून्य
समाप्त हो जाती उसकी विनाश लीला पल में !
मूढ़ हैं वो जो कहते हैं
तुम पुरुषों के बराबर हो जाओ
काल की पट्टिका पर तुम्हारा अस्तित्व
काफी आगे है पुरुषों से
खुद का अवमूल्यन मत करना
नर के बराबर कभी ना होना
यह तुम्हारी जीत नहीं हार होगी!
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